सामाजिक सरोकार से जुड़कर राष्ट्र निर्माण में भाग लें युवा
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स्वामी विवेकानंद की की 151वीं जयंती राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया गया।
स्वामी विवेकानंद की 151 जयंती मनाते सेासाइटी के लोग। |
चन्दौली
(उ0प्र0)। स्वामी विवेकानंद ने पूरी दुनिया में भारतीय संस्कृति का परचम बुलन्द किया है। मानव सेवा को वे सबसे बड़ा धर्म मानते थे। उनका सपना था कि भारतीय युवा निर्भीक व स्वावलंबी बने तथा सामाजिक बदलाव लाने में अपना योगदान दे। बावजूद इसके आजादी के साठ साल से ज्यादा का अरसा गुजर जाने के बाद भी मुल्क में गरीबी, अशिक्षा, भ्रष्टाचार व बेरोजगारी चरम पर है। गरीबी हटाओ अभियान सिवा नारेबाजी के परवान नहीं चढ़ सका क्योंकि हम सरकार के कंधे पर सिर रखकर सोच रहे हैं कि गरीबी हटाना तो सरकार का काम है। लेकिन जरा सोचें क्या सिर्फ सरकार के जिम्मे सब चीज छोड़ कर हम अपने दायित्वों से मुक्त हो सकते हैं?
उक्त बातें एम. अफसर खां सागर ने रविवार को धानापुर
कस्बा स्थित पठानटोली में अदनान वेलफेयर सोसाइटी द्वारा स्वामी विवेकानंद की 151वीं जयन्ती राष्ट्रीय युवा दिवस पर आयोजित ‘सामाजिक सरोकार में युवाओं की भूमिका
’ विषयक संगोष्ठी के अवसर पर व्यक्त किया। उन्होने कहा कि दुनिया की सबसे ज्यादा युवा आबादी भारत में रहती है लेकिन आज का युवा सामाजिक सरोकार के मुद्दों से मुंह फेरे हुए है। जबकि स्वामी विवेकानंद चाहते थें कि भारत का युवा अपनी ताकत को पहचानते हुए सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए संघर्ष करे ताकि मुल्क का हर नागरिक खुशहाल रहे। आज जरूरत है कि युवा अपने सामाजिक सरोकार की जिम्मेदारी को समझे। आम देशवासियों व समाज के प्रति संवेदनशील होकर राष्ट्र निर्माण में योगदान दे। समाज के प्रति अपने सरोकारों को दिल से महसूस करते हुए किसी भी क्षेत्र में नौकरी या काम करते हुए भी जरूरतमन्दों की स्याह जिन्दगी में खुशहाली बिखेरने का पहल करे। देश में अशिक्षा, भ्रष्टाचार, गरीबी, आतांक व भुखमरी के खिलाफ युवा एकजुट होकर संघर्ष करे ताकि आम लोगों की जिन्दगी को बेहतर बनाने का सार्थक प्रयास हो सके। समाज, देश व देशवासियों के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करके ही स्वामी विवेकानंद जी को सच्ची श्रद्धांजलि दिया जा सकता है तथा राष्ट्रीय युवा दिवस के महत्व को सार्थक बनाया जा सकता है। इससे पूर्व स्वामी विवेकानंद के तैलचित्र पर माल्यापर्ण कर लोगों ने उन्हे श्रद्धांजलि अर्पित किया।
संगोष्ठी में प्रमुख रूप से मु0 आरिफ खां, प्रभाकर सिंह, इरफान खां, सर्फुद्दीन, इम्तियाज अहमद, राजा तनवीर, शमशाद खां, मनोज, आमिर खां, राजन, तबरेज, सद्दाम खां, हामिद अबरार, बाबू अली सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे। अध्यक्षता बेचन सिंह व संचालन मो0 रईस खां ने किया।
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